शुरू हुआ है जहां से जीवन,
वो तन है कितना पावन |
पा करके उस माँ का आँचल,
हरा भरा है ये उपवन ||
उस गोदी की लोरी क्या,
जो सावन सा सुख देती है |
हर तन्द्रा को भूल के प्राणी,
उस पन में भर देती है ||
जिस छाया में पल कर हम,
आज यहाँ तक पहुचें हैं |
उस छाया की महिमा क्या ......,
जो वेद पुराण भी कहतें हैं ||
ममता की बौछार है जो,
सब पर एक सी पड़ती है|
चाहे कितनी क्रूर बने वो,
पर तो माँ , माँ दिखती है ||
खून से जिसने सींच मुझको,
और तन में स्थान दिया |
उसी वृक्ष का फल हूँ इक मै,
जो जीवन मुझको दान दिया ||
मै अंधियारे में सोता था,
बन प्रकाश वो आई जो |
मेरा पहला शब्द वही था,
वो दुनिया में लाइ जो ||
दीपंकर कुमार पाण्डेय
-: सर्वाधिकार सुरक्षित :-
वो तन है कितना पावन |
पा करके उस माँ का आँचल,
हरा भरा है ये उपवन ||
उस गोदी की लोरी क्या,
जो सावन सा सुख देती है |
हर तन्द्रा को भूल के प्राणी,
उस पन में भर देती है ||
जिस छाया में पल कर हम,
आज यहाँ तक पहुचें हैं |
उस छाया की महिमा क्या ......,
जो वेद पुराण भी कहतें हैं ||
ममता की बौछार है जो,
सब पर एक सी पड़ती है|
चाहे कितनी क्रूर बने वो,
पर तो माँ , माँ दिखती है ||
खून से जिसने सींच मुझको,
और तन में स्थान दिया |
उसी वृक्ष का फल हूँ इक मै,
जो जीवन मुझको दान दिया ||
मै अंधियारे में सोता था,
बन प्रकाश वो आई जो |
मेरा पहला शब्द वही था,
वो दुनिया में लाइ जो ||
दीपंकर कुमार पाण्डेय
-: सर्वाधिकार सुरक्षित :-
bahut sundar
ReplyDeleteममता की बौछार है जो,
ReplyDeleteसब पर एक सी पड़ती है|
चाहे कितनी क्रूर बने वो,
पर तो माँ , माँ दिखती है |
Nice post.
प्रिय भाई , नए ब्लाग और सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें .
ReplyDeletehttp://abhinavanugrah.blogspot.com/
मां पर जितना भी लिखा जाये कम है ... मां तो सारी दुनिया है बच्चे के लिये ।
ReplyDeleteजननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदापि गरीयसी।
ReplyDeleteमाँ को नमन।
बहुत ही अच्छी और सच्ची अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteमाँ के एहसासों को कविता के रूप में खूबसूरती से दर्शाती हुई रचना |
ReplyDeleteखुबसूरत रचना |
शब्द पुष्टिकरण हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी ..धन्यवाद
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया
माँ की महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकते. उल्लेखनीय पोस्ट
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
मीडिया की दशा और दिशा पर आंसू बहाएं
भले को भला कहना भी पाप
खूबसूरत कविता माँ को अर्पण.. बहुत खूब...
ReplyDeleteतीन साल ब्लॉगिंग के पर आपकी टिप्पणी का इंतज़ार है
आभार